
एक मंगलमय विहार: ॐ आश्रम में गुरुदेव का सान्निध्य
ॐ आश्रम — आज आश्रम में आनंदमयी प्रत्याशा की एक लहर दौड़ गई। यह समाचार फैल गया कि हमारे परमप्रिय गुरुदेव, परम पूज्य विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज, आश्रम परिसर में विहार कर रहे थे।

आगंतुकों, निवासियों और शिष्यों के लिए, यह एक अत्यंत अविस्मरणीय क्षण था—ॐ आश्रम के शांत वातावरण में परमप्रिय गुरुदेव के दर्शन (पवित्र दृष्टि) प्राप्त करने का एक दुर्लभ एवं सौभाग्यपूर्ण अवसर। उनकी उपस्थिति ने उन सभी के अंतःकरण में गहन शांति और प्रेरणा का संचार किया, जिन्हें इसका साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।






चिंतन का एक क्षण: गुरुदेव की शाश्वत शिक्षाएँ
इस विशेष अवसर ने गुरुदेव के असाधारण सत्संगों में साझा किए गए शाश्वत ज्ञान का स्मरण करा दिया। उनका यह विहार उनकी शिक्षाओं का एक जीवंत अनुस्मारक था, जिसकी एक झलक यहाँ प्रस्तुत है।

"प्रत्येक कर्म, वचन, भावना और विचार को हृदय केंद्र से छनकर आना चाहिए और भक्ति (प्रेम) एवं ज्ञान (विवेक) से प्रकाशित होना चाहिए। ज्ञान, भक्ति के बिना कुछ भी अनुभव करने में असमर्थ है, और भक्ति, ज्ञान के बिना अंधी है। जहाँ प्रेम और ज्ञान की शक्तियाँ मिलती हैं, वहाँ पूर्णता है। समझ और करुणा हमें सीधे ईश्वर तक ले जाती हैं।"

विश्वगुरु जी का यह शांत विहार इस गहन शिक्षा का एक जीवंत प्रतीक था। इसने उपस्थित सभी को यह स्मरण दिलाया कि आध्यात्मिक शिक्षा केवल धर्मग्रंथों में ही नहीं, अपितु शांत कृपा और भक्ति के क्षणों में भी मिलती है। हरि ॐ

