
ॐ आश्रम में एक दिव्य करवट
हाल ही में ॐ आश्रम स्थित शिव मंदिर आनंद से परिपूर्ण था। सुंदर, रंग-बिरंगे वस्त्रों में महिलाओं ने नृत्य और गायन के लिए एकत्रित होकर भगवान विष्णु को समर्पित एक बहुत ही विशेष दिन, परिवर्तिनी एकादशी का उत्सव मनाया।

"परिवर्तिनी" नाम का अर्थ है "करवट बदलना"। ऐसी मान्यता है कि इस दिन, योग निद्रा की अवस्था में लीन भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं। यह सरल कार्य संसार में नवीन आशीर्वाद और खुशियाँ लाता है।

इस पावन दिन पर, भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों को सुख, समृद्धि और सांसारिक आनंद का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ऐसी भी मान्यता है कि मनुष्य जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर अपने कठिन कर्मों से भी मुक्ति पा सकते हैं।



यह दिन भगवान विष्णु से जुड़ी उस प्रसिद्ध कथा को भी समर्पित है, जब वे वामन नामक एक छोटे बालक के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।


वामन की कथा: एक समय की बात है, महाबली नाम का एक दयालु और शक्तिशाली असुर राजा था, जो सब कुछ पर शासन करता था। वामन ने राजा से भेंट की और एक छोटा सा उपहार मांगा: केवल तीन पग भूमि।

राजा ने मुस्कुराकर हाँ कह दी। किन्तु तभी, वामन का आकार अविश्वसनीय रूप से विशाल हो गया! अपने 'पहले पग' से उन्होंने पूरी पृथ्वी को ढक लिया। अपने 'दूसरे पग' से उन्होंने पूरे आकाश को नाप लिया। फिर उन्होंने राजा से पूछा, "मैं अपना तीसरा पग कहाँ रखूँ?"

राजा महाबली जानते थे कि वे स्वयं ईश्वर के समक्ष थे। उन्होंने झुककर अपना सिर अर्पित कर दिया। भगवान विष्णु राजा के इस नेक हृदय से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया।




इस शुभ दिन पर मंदिर में प्रस्तुत किए गए सुंदर गीत और नृत्य इस अद्भुत कथा का वर्णन करते हैं। यह आस्था, भक्ति और आनंद का उत्सव है। हरि ॐ।

