
जन्मदिन का उत्सव, गुरु का सम्मान
अपने अवतरण दिवस के पुण्य अवसर पर विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज ने अपने परमपूज्य गुरुदेव भगवान् हिंदू धर्म सम्राट सद्गुरु परमहंस श्री स्वामी माधवानंद जी महाराज की महासमाधि पर जाकर पूजा-अर्चना कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर विश्वगुरुजी ने अपने जीवन से जुड़ा एक शिक्षाप्रद संस्मरण भी साझा किया।
जो गुरु-शिष्य परंपरा की गहराई और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की अनुपम प्रेरणा देता है।

हमारे प्रिय गुरुदेव हमें एक सरल सत्य की याद दिलाते हैं: सच्चा ज्ञान एक नदी की तरह गुरु से शिष्य तक बहता है।


हमारी आध्यात्मिक उन्नति हमारी भक्ति (भाव) पर निर्भर करती है।


हमारी भक्ति एक खजाने की तरह है। यह जितनी बढ़ती है, हमारा आध्यात्मिक जीवन उतना ही समृद्ध होता जाता है।



वास्तविक आध्यात्मिक लाभ इस बात से नहीं मिलता कि हमारे पास क्या है, बल्कि हमारे भाव से मिलता है।

यह चुनाव हमेशा हमारे हाथों में है।


जब हमारी भक्ति प्रबल होती है, तो हमारी आत्मा चमक उठती है।


आइए, इस आंतरिक ज्वाला को प्रज्वलित रखें! 🔥!

