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ओम आश्रम में वैदिक संस्कृति पर संगोष्ठी, विशिष्ट अतिथियों ने बढ़ाई शोभा

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर, ओम आश्रम को संस्कृत एवं वैदिक संस्कृति पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। संस्कृत के 'ॐ' अक्षर के आकार में बना यह अनूठा आश्रम, इस विशेष आयोजन के लिए एक आदर्श स्थान था।



यह विशेष दिन प्रख्यात विद्वान, पंडित मधुसूदन ओझा जी की १५९वीं जन्म जयंती का भी प्रतीक था। हम सब संस्कृत साहित्य में उनके अतुलनीय योगदान का उत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए।

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इस संगोष्ठी को हमारे श्रद्धेय गुरुदेव, परम पूज्य विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज, जो इस सुंदर ओम आश्रम के संस्थापक हैं, की गरिमामयी उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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परम पूज्य विश्वगुरु जी ने मुख्य अतिथि, श्री जोराराम जी कुमावत, राज्य मंत्री, राजस्थान सरकार का हार्दिक स्वागत किया।

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यह संगोष्ठी एक अत्यंत सुखद और आनंदमय समारोह था, जो आपसी सम्मान और प्रशंसा की भावना से परिपूर्ण था।

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इस संगोष्ठी का आयोजन वैदिक संस्कार एवं शिक्षा बोर्ड, राजस्थान सरकार और विश्वगुरु दीप आश्रम शोध संस्थान, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

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वैदिक संस्कार एवं शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष, प्रो. गणेशीलाल जी सुथार द्वारा एक विशेष एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया गया।

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हम सभी सम्मानित वक्ताओं, अतिथियों और उन सभी लोगों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हैं, जो इस दिन को एक बड़ी सफलता बनाने के लिए हमारे साथ शामिल हुए।

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Lectures on the Chakras

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