
श्री देवपुरी जी की शाश्वत ज्योति
यह महान अवतार, सतगुरु श्री देवपुरी जी महाराज के जीवन और विरासत का उत्सव मनाने का एक सुंदर दिन था। वे हमारी आध्यात्मिक परंपरा के एक पूजनीय गुरु हैं।

वे महान ऋषि, सतगुरु श्री अलख पुरी जी भगवान के सीधे उत्तराधिकारी थे, जो हमारी शाश्वत परंपरा, श्री अलख पुरी जी परम्परा के स्रोत हैं। दोनों संत हिमालय में रहते थे और समय-समय पर लोगों के बीच प्रकट होते थे।

ॐ आश्रम में, हमने परंयोगेश्वर श्री देवपुरी जी की महासमाधि वर्षगाँठ मनाई। यह उत्सव हमारे प्रिय गुरुदेव, विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज की पवित्र उपस्थिति से शोभित हुआ।


श्री देवपुरी जी ने राजस्थान के कैलाश गाँव में कई सुंदर सत्संग किए।


उनके श्रोताओं में केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु भी शामिल थे। वे हमेशा साँपों, बिच्छुओं, कुत्तों और पक्षियों से घिरे रहते थे। वे सभी प्राणियों के मित्र थे।

वे एक ऐसी सार्वभौमिक भाषा बोलते थे जिसे हर कोई समझ सकता था।

कई वर्षों तक, श्री देवपुरी जी का कोई भी भौतिक चित्र नहीं बनाया गया था।

जब उनके शिष्यों ने एक चित्र के लिए पूछा, तो वे प्रेमपूर्वक उत्तर देते: "मेरा चित्र सूर्य है। जब भी तुम मुझे देखना चाहो, बस सूर्य को देख लेना।"

यह गहन शिक्षा हमें श्री देवपुरीजी के सच्चे स्वरुप की याद दिलाती है।

उनका सार किसी भौतिक रूप में नहीं है। यह उस प्रकाश में है जिसे उन्होंने अपने ज्ञानपूर्ण शब्दों के माध्यम से दुनिया के साथ साझा किया।








श्री देवपुरीजी की दिव्य शिक्षाएँ प्रेरणा और आशीर्वाद का एक निरंतर स्रोत हैं।


उनकी शिक्षाएँ हर दिन हमारे पथ पर हमारा मार्गदर्शन करें। हरि ॐ।

