
कलश
हिंदू मंदिरों में, शीर्ष पर, विशेष रूप से मंदिर के शिखर पर एक स्वर्ण कलश (पात्र या कुंभ) स्थापित करने का गहरा प्रतीकात्मक और धार्मिक महत्व है। ॐ आश्रम में हम महत्वपूर्ण स्थानों के शीर्ष पर स्वर्ण पत्रों से जड़े हुए (सजाए हुए) कलश स्थापित कर रहे हैं।

शुभता का प्रतीक
कलश को प्रचुरता, ज्ञान और अमरता का प्रतीक माना जाता है। इसे अक्सर देवी लक्ष्मी से जोड़ा जाता है, जो धन और समृद्धि लाती हैं।


ब्रह्मांडीय प्रतीकवाद
कलश की संरचना ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है। पात्र का आधार पृथ्वी का, मध्य भाग आकाश का और शीर्ष पर खुला भाग स्वर्ग का प्रतीक है। यह सांसारिक और दिव्य के बीच संबंध में हिंदू विश्वास को दर्शाता है।

आध्यात्मिक महत्व
मंदिर के शीर्ष पर स्थित कलश मंदिर के सर्वोच्च बिंदु का प्रतीक है, जो स्वर्ग के सबसे निकट है। ऐसा माना जाता है कि यह एक ऐसा बिंदु है जहां दिव्य ऊर्जाएं एकत्रित होती हैं और पूरे मंदिर में प्रसारित होती हैं।

सौंदर्यात्मक एवं वास्तुशिल्पीय मूल्य
अपने धार्मिक महत्व के अलावा, एक स्वर्ण कलश मंदिर की वास्तुकला की सुंदरता और भव्यता को भी बढ़ाता है।

भौतिक महत्व
सोने का उपयोग, जो एक कीमती और स्थायी धातु है, मंदिर की पवित्रता और भीतर पूजे जाने वाले देवताओं को सर्वश्रेष्ठ अर्पित करने की इच्छा, दोनों को दर्शाता है।

संक्षेप में, मंदिर के ऊपर का स्वर्ण कलश केवल एक सजावटी विशेषता नहीं है, बल्कि हिंदू मंदिर वास्तुकला और अनुष्ठान का एक अभिन्न, गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक तत्व है।