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प्रिय गुरुदेव के पास वापसी - ॐ आश्रम में वापसी

परम पूज्य विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज के उत्तराधिकारी, स्वामी अवतार पुरी जी, अपने प्रिय गुरुदेव के पास आनंदपूर्वक लौट आए हैं।

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ॐ आश्रम में यह पुनर्मिलन, स्वामी अवतार पुरीजी की यूरोप-भर की प्रेरणादायक आध्यात्मिक यात्रा के पश्चात् हुआ है। वहाँ उन्होंने सत्संग, योग सेमिनार और आध्यात्मिक शिविरों का नेतृत्व करके विश्वगुरुजी की विरासत को आगे बढ़ाया।

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स्वामी अवतार पुरीजी की यात्रा के मुख्य आकर्षणों में स्ट्रिल्की (चेक गणराज्य) और वेप (हंगरी) में आयोजित जीवंत एवं भव्य योग शिविर शामिल थे, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों को आध्यात्मिक विकास और आनंद प्रदान किया।

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अपनी इस यात्रा के दौरान, वे चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, हंगरी, स्लोवेनिया, ऑस्ट्रिया और क्रोएशिया के आश्रमों में अनगिनत श्रद्धालुओं, भक्तों और शिष्यों से जुड़े।

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इस पुनर्मिलन के अवसर पर, आइए हम अपने प्रिय गुरुदेव के उन ज्ञानपूर्ण वचनों का स्मरण करें, जिन्हें वे अक्सर अपने सेमिनारों के अंत में साझा करते थे:

"सदैव गुरु की शरण में रहो। तब सभी शंकाएँ दूर हो जाएँगी। जब तुम ध्यान करो, तो गुरु की उपस्थिति का अनुभव करो।"

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"योग सेमिनार के दौरान, प्रकृति की शांति को आत्मसात् करो। उसकी शांति को अपनी चेतना पर अंकित कर लो, ठीक वैसे ही, जैसे कोई कलाकार किसी परिदृश्य को चित्रित करता है।"

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"जब तुम सेमिनार से घर लौटोगे, तो तुम फिर से सांसारिक मामलों में संलग्न हो जाओगे। फिर भी, जब भी उथल-पुथल हो, तो अपनी आँखें बंद कर लेना और इस साझा चेतना से पुनः जुड़ जाना। शारीरिक दूरी इस मानसिक एकता को तोड़ नहीं सकती।"

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हमारे गुरुदेव सदैव हमारे साथ रहें और हमारे आध्यात्मिक पथ पर हमारा मार्गदर्शन करें। हरि ॐ।

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