
राज परंपरा और संत परंपरा का संगम
इस अद्भुत भेंट में राजपरंपरा और अध्यात्म का संगम हुआ।
पारस्परिक सम्मान और गौरवपूर्ण एक भेंट में, वेदांताचार्य स्वामी राजेंद्र पुरी जी महाराज ने भगवान श्री एकलिंग जी के अनन्य उपासक, भारत की आन-बान-शान, मेवाड़ की गौरवगाथा के प्रतीक, अजेय पराक्रमी, अद्वितीय साहसी एवं राष्ट्रगौरव महान् वीर महाराणा प्रताप के गौरवशाली वंशज मेवाड़ के राजकुमार श्री लक्ष्यराज सिंह जी से भेंट की।
उनके बीच संस्कृति, धर्म और समाज पर एक सारगर्भित चर्चा हुई। इस चर्चा के उपरांत, स्वामी जी ने उन्हें परम पूज्य गुरुदेव, विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज द्वारा स्थापित विश्व के अद्वितीय अद्भुत अकल्पनीय आश्चर्यजनक ॐ आश्रम का स्मृति-चिह्न भेंट किया।

मेवाड़ के राजकुमार श्री लक्ष्यराज सिंह जी ने ॐ आश्रम के परम पूज्य आध्यात्मिक गुरु, वेदांताचार्य स्वामी राजेंद्र पुरी जी महाराज से भेंट की। उनका संवाद सौहार्दपूर्ण, प्रेरणादायक और शाश्वत मूल्यों पर केंद्रित था।

उन्होंने भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों पर चर्चा की: सेवा (निःस्वार्थ सेवा), धर्म (एक न्यायपूर्ण मार्ग), और संस्कृति (हमारी समृद्ध विरासत)।

वेदांताचार्य स्वामी राजेंद्र पुरी जी महाराज ने एक सुन्दर सन्देश दिया: "हमारे समाज में सेवा, त्याग और सद्भावना के माध्यम से प्रकाश फैलाना ही अपने धर्म का पालन करने का सर्वोत्तम मार्ग है।"

उन्होंने श्री लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ को आशीर्वाद दिया कि वे संस्कृति के संरक्षण और समाज सेवा के लिए अपने पूर्वजों के महान कार्यों को निरंतर जारी रखें।

मेवाड़ के राजकुमार श्री लक्ष्यराज सिंह जी को राजस्थान के जाडन में स्थित विश्व-प्रसिद्ध ॐ आश्रम पधारने के लिए एक विशेष निमंत्रण भी दिया।

यह भेंट इस बात का एक सुन्दर प्रमाण थी कि परम्परा और अध्यात्म मिलकर भविष्य के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करते हैं।