
ओ३म् आश्रम में सत्संग की ज्योति
हाल ही में, ओ३म् आश्रम के भक्ति सागर हॉल में एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति हुई। हमारे प्रिय गुरुदेव भगवान, विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज ने भारत और दुनिया भर से आए अपने भक्तों के लिए एक सत्संग का आयोजन किया। पूरा वातावरण दिव्य ऊर्जा, भक्ति और प्रेम की सुंदर भावना से ओत-प्रोत था।




वहां उपस्थित सभी के लिए, यह उस शाश्वत ज्ञान का एक सुंदर स्मरण था जो गुरुजी वर्षों से हमारे साथ साझा करते आए हैं। इसने विशेष रूप से गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस पर दी गई उनकी शिक्षाओं की यादें ताज़ा कर दीं। उन्होंने हमें गुरु और शिष्य के बीच के संबंध के सच्चे अर्थ और इस पर्व के महत्व के बारे में सिखाया।



वे कहा करते थे, "मैं इस पवित्र पर्व पर आप सभी को देखकर बहुत प्रसन्न हूँ।" भक्तों के लिए, गुरु पूर्णिमा वर्ष के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इसका एक गहरा अर्थ है: "गु" का अर्थ है अंधकार, और "रु" का अर्थ है वह प्रकाश जो उसे दूर करता है। यह दिव्य सिद्धांत, जिसे गुरु-तत्व के रूप में जाना जाता है, चेतना को जागृत करता है। यह असीम, पूर्ण और शुद्ध है।


इस तरह की शिक्षाएँ और सत्संग ही असली कारण हैं जिनकी वजह से हम गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु के दर्शन करने जाते हैं। यह वह दिन है जब हम अपने आध्यात्मिक अभ्यास (साधना) के फलों को गुरुदेव को अर्पित करते हैं और अपने पथ पर निरंतर चलते रहने का संकल्प लेते हैं।


गुरुदेव की ज्योति और आशीर्वाद हमें इस पथ पर राह दिखाएँ। हरि ओ३म्