
विश्वगुरु जी का ओम मंदिर में आगमन
हाल ही में हमें ओम आश्रम के संस्थापक, हमारे पूज्य गुरुदेव, विश्वगुरु जी के आश्रम परिसर में स्थित पवित्र मंदिर में आगमन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

वहाँ अपने प्रवास के दौरान, वे एक आत्मीय और आध्यात्मिक रूप से उत्थानकारी सभा में शिष्यों के एक समर्पित समूह से मिले।

कई सत्संगों में, विश्वगुरु जी ने भक्ति पर गहन अंतर्दृष्टि साझा की है।

उनकी सबसे प्रेरणादायक शिक्षाओं में से एक है: "परमात्मा अपने भक्तों के भक्त हैं। वे उनमें विलीन हो जाते हैं, जैसे लहरें जल में और जल सागर में विलीन हो जाता है।"

यह सुंदर अभिव्यक्ति सच्ची भक्ति के सार को दर्शाती है — दिव्य प्रेम में स्वयं का विलय, जो परमात्मा के साथ एकत्व की ओर ले जाता है।

यह विशेष यात्रा गुरु और शिष्य के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध की एक शक्तिशाली याद दिलाती है — यह एक शाश्वत बंधन है जो शब्दों से परे है, आत्मा का पोषण करता है, और हमें सत्य, प्रेम और निस्वार्थ सेवा के मार्ग पर मार्गदर्शन करता है।

गुरु की दिव्य उपस्थिति हर कदम पर आपकी रक्षा करती रहे, और सत्य तथा ज्ञान के मार्ग पर आपकी आध्यात्मिक वृद्धि और प्रगति सुनिश्चित करे। हरि ॐ।



